जुड़ी हुई ग्रासनली और श्वास नली वाले एक दिन के नवजात शिशु को फोर्टिस मोहाली में मिला जीवनदान
जुड़ी हुई ग्रासनली और श्वास नली वाले एक दिन के नवजात शिशु को फोर्टिस मोहाली में मिला जीवनदान
— चूंकि ग्रासनली एक सिरे पर बंद (ब्लाइंड एंडिंग) थी, इसलिए दूध शिशु के पेट तक नहीं पहुंच पा रहा था; यह चिकित्सा स्थिति दुर्लभ है और यदि तुरंत इलाज न हो तो जानलेवा हो सकती है —
यमुनानगर, मई 7, 2025: फोर्टिस अस्पताल मोहाली के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग ने हाल ही में एक दिन के नवजात शिशु को जीवनदान देकर उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। यह शिशु “ईसोफैगियल एट्रेसिया विद डिस्टल ट्रेकियोईसोफैजियल फिस्टुला (ईए-टीईएफ)” नामक जन्मजात विकृति से पीड़ित था — जिसमें ग्रासनली पूरी तरह विकसित नहीं होती और पेट से कटी होती है, साथ ही ग्रासनली और श्वास नली के बीच एक असामान्य जुड़ाव होता है। चूंकि ग्रासनली एक सिरे पर बंद थी (ब्लाइंड एंडिंग), दूध शिशु के पेट तक नहीं पहुंच पा रहा था। यह एक दुर्लभ और गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो यदि समय पर इलाज न हो तो जानलेवा हो सकती है।
फोर्टिस अस्पताल मोहाली में पीडियाट्रिक सर्जरी के कंसल्टेंट डॉ. संदीप कुमार जागलान ने नवजात शिशु का ऑपरेशन कर विकृत ग्रासनली का सफल उपचार किया।
एक दिन के नवजात शिशु को लगातार लार टपकने की समस्या हो रही थी, वह दूध नहीं पी पा रहा था और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखा रहा था। डॉ. जागलान ने शिशु की जांच की, जिसमें छाती और ऊपरी वक्ष के एक्स-रे में ईसोफैगियल एट्रेसिया विद डिस्टल ट्रेकियोईसोफैजियल फिस्टुला की पुष्टि हुई। इस स्थिति के लिए तत्काल सर्जरी की आवश्यकता थी।
डॉ. जागलान के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने शिशु की दाहिनी छाती की ओर से सर्जरी की, जिसमें पाया गया कि ग्रासनली का ऊपरी हिस्सा बंद था (ब्लाइंड एंडिंग), जबकि निचला सिरा श्वास नली से जुड़ा हुआ था। ग्रासनली के दोनों सिरों के बीच 3.5 सेमी का गैप था। डॉ. जागलान ने तीन घंटे की सर्जरी के दौरान इस जन्मजात विकृति को सफलतापूर्वक ठीक किया और कुल रक्तस्राव 5 मिलीलीटर से भी कम रहा। शिशु की नवजात आईसीयू में सर्जरी के बाद स्थिति स्थिर रही। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है और सामान्य रूप से दूध पी रहा है।
इस मामले पर चर्चा करते हुए डॉ. जागलान ने कहा कि ट्रेकियोईसोफैजियल फिस्टुला एक दुर्लभ जन्मजात दोष है। टीईएफ से पीड़ित बच्चों में अक्सर रीढ़, मलद्वार, हृदय या अंगों से संबंधित अन्य जन्म दोष भी पाए जाते हैं। अक्सर ऐसे बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं और उनका वजन भी सामान्य से कम होता है। हमारे देश में ऐसे बच्चों की मृत्यु दर काफी अधिक है (लगभग 60-70%)। नवजात शिशु पर सर्जरी करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, विशेष रूप से जब अन्य विकृतियां भी साथ में हों। हम जन्म दोष को ठीक करने में सफल रहे और शिशु अब बिल्कुल स्वस्थ है।
डॉ. जागलान ने आगे कहा, “एक पीडियाट्रिक और नियोनेटल सर्जन के रूप में, हम विभिन्न प्रकार की जन्मजात विकृतियों का इलाज करते हैं जैसे डायाफ्रामेटिक हर्निया, मेनिंगो-मायेलोसील, आंतों की एट्रेसिया, एनोरेक्टल मालफॉर्मेशन आदि। हम किडनी संबंधित समस्याओं का भी इलाज करते हैं, जैसे हाइड्रोनेफ्रोसिस (जहां मूत्र मार्ग में अवरोध के कारण दोनों किडनियां सूज जाती हैं), वीयूआर (वह स्थिति जिसमें मूत्र मूत्राशय से वापस किडनी और यूरीटर्स में जाता है), हाइपोस्पेडियास (जहां मूत्र का निकासी स्थान लिंग के निचले हिस्से पर होता है, न कि टिप पर)। इसके अलावा, हम सामान्य बाल सर्जिकल समस्याओं का इलाज भी करते हैं जैसे अंडकोष का न उतरना, हर्निया, बाल दुर्घटना आदि। हम लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा बाल शल्य चिकित्सा भी करते हैं, जिससे चीरा छोटा होता है, दर्द कम होता है और बच्चों के लिए रिकवरी समय भी कम हो जाता है।