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विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर सिविल सर्जन यमुनानगर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया

विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर सिविल सर्जन यमुनानगर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें उपायुक्त मुकुल कुमार ने मुख्यअतिथि के तौर पर शिरकत की तथा उनके साथ सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान कान-नाक-गले के चिकित्सक द्वारा चिन्हित जिले के 15 मरीजों को उपायुक्त व सिविल सर्जन द्वारा निशुल्क कान की मशीन प्रदान की गई तथा एक विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर ”कान है तो जहान हैÓÓ नामक विवरणिका का विमोचन भी किया गया। आज मुकन्द लाल जिला नागरिक अस्पताल यमुनानगर में विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर एक कैंप का अयोजन किया गया, जिसमें 85 व्यक्तियों के कानों की जॉच की गई तथा 20 व्यक्तियों में श्रवण शक्ति का नुकसान पाया गया।
उपायुक्त मुकुल कुमार ने जानकारी देते हुये बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में कम सूनने वाले मरीजों को सरकार की तरफ से कान की मशीन प्रदान की जाती है तथा आज विश्व श्रवण दिवस के आवसर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जीवनदीप संस्थान के सहयोग से 15 लोगों को कान की मशीनें दी गई। उन्होने इस अवसर पर जीवन दीप संस्थान की भी जनसाधारण की सेवा के लिये सराहना की तथा कहा कि हम सभी को समाज में सेवा भाव से मदद करनी चाहिये तथा अन्य संस्थाओं को भी लोकसेवा में कार्य करना चाहिये। उन्होंने बताया कि आज स्वास्थ्य विभाग द्वारा कानों से स बंधित एक विवरणिका कि शुरूआत की गई है, जो लोगों को जागरूक करने के काम आयेगी।
सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया ने उपस्थित सभी मरीजों व उनके परिजनों तथा अन्य श्रोताओं को बताया कि कान के बहरेपन से बचने के लिये कान की उचित देखभाल बहुत जरूरी है तथा बहरेपन से बचने के लिये हमें क्या-क्या कदम उठाने चाहियें। उन्होंने सभी को बताया कि मां को अपने छोटे बच्चों को अपना दूध पिलाना अति आवश्यक है परन्तु मां द्वारा बच्चे को दूध हमेशा बैठकर ही पिलाना चाहिये व बच्चे के कान में किसी प्रकार की नुकीली चीज लगने या कान में पानी जाने से परहेज करना चाहिये, क्योंकि इससे बच्चे के कानों को नुकसान हो सकता है, जो कि पूर्ण बहरेपन का कारण बन सकता है। उन्होंने बताया कि बहरेपन के 3 स्तर होते हैं तथा बहरेपन के कारणों, मुख्य लक्षणों व उसके ईलाज के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया तथा साथ ही कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार आने वाले तीन दशकों में हर चार में से एक व्यक्ति की सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है, जो कि चिन्ता का विषय है। उन्होने बताया कि सुनने की क्षमता कि कई समस्याओं का कारण-संक्रमण, रोग, जन्म दोष, बढते शोर और जीवन शैली हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 तक विश्व में कानों से सम्बंधित समस्यों से ग्रस्त लोगों की सख्या 1.9 अरब थी तथा 70 करोड लोग वर्ष 2050 तक गंभीर समस्या से पीडित हो सकते हैं। ऐसे लोगों को तुरन्त ईलाज की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सही जानकारी का अभाव और कान की बीमारी के प्रति लापरवाही सुनने की क्षमता को प्रभावित करने का सबसे बडा कारण बनती है, जबकी श्रवण शक्ति व कान की समस्या को लेकर ना तो जागरूक दिखाई देते हैं और न ही गंभीर दिखाई देते है। उन्होंने कहा कि जागरूकता व पूर्ण उपचार ही समाज में कानों की समस्याओं का समाधान कर सकती है।
इस अवसर पर कान-नाक व गले की विशेषज्ञ डॉ. छवि मेहता द्वारा मुख्यअतिथि तथा सभी उपस्थित श्रोताओं को पी.पी.टी. प्रस्तुति के माध्यम से कान की समस्याओं के बारे में पूर्ण जानकारी दी तथा बताया कि किसी प्रकार से कान के पर्दे को नुकसान होता है तथा किन सावधानियों के माध्यम से कानों की श्रवण शक्ति को बचाया या बढाया जा सकता है। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग से सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पूनम चौधरी व डॉ. सुनिल कुमार, उप-सिविल सर्जन डॉ. दीपिका गुप्ता, डॉ. राजेश परमार, डॉ. विजय परमार, डॉ. विजय विवेक, डॉ. वागीश गुटेन, डॉ. पुनित कालडा, डॉ. चारू कालडा, बोबेश पंजेटा के साथ-साथ अन्य अधिकारी व कर्मचारियों के साथ-साथ जीवनदीप संस्थान से डॉ. अजय कुमार मिश्रा, डॉ. प्राची मिश्रा, गुलशन बक्शी, मंजीत सिंह उप्पल व आशा भी उपस्थित रहे।

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