श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कार्य का भविष्य: कौशल निर्माण और भारत एवं सिंगापुर के शासन मॉडल पर कार्यशाला को संबोधित किया
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज भुवनेश्वर में वर्क ऑफ फ्यूचर: स्किल आर्किटेक्चर एंड गवर्नेंस मॉडल्स ऑफ इंडिया एंड सिंगापुर पर कार्यशाला को संबोधित किया। भारत में सिंगापुर गणराज्य के उच्चायुक्त श्री साइमन वोंग, सिंगापुर के शिक्षा मंत्रालय की उपसचिव (उच्च शिक्षा एवं कौशल) सुश्री मेलिसा खू, पूर्ण सत्र में उपस्थित थे। उच्च शिक्षा सचिव श्री के. संजय मूर्ति, कौशल विकास और उद्यमिता सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी, स्कूल शिक्षा और साक्षरता सचिव श्री संजय कुमार और शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कार्यशाला में भाग लिया।
इस अवसर पर श्री प्रधान ने जी20 तीसरी ईडीडब्ल्यूजी बैठक से इतर आयोजित होने वाली एक-दिवसीय कार्यशाला में भारत और सिंगापुर के प्रतिनिधिमंडल, कौशल इकोसिस्टम के हितधारकों, शिक्षाविदों और छात्रों के बीच उपस्थित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
श्री प्रधान ने कहा कि कौशल विकास और ज्ञान आधारित सहयोग रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण तत्व है। विशेष रूप से भविष्य के लिए तैयार कार्यबल तैयार करने की दिशा में आपसी प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए भारत और सिंगापुर दोनों के लिए मिलकर काम करने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि हमें कौशल को फिर से परिभाषित करना होगा और नए सिरे से कल्पना करनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि स्किलिंग एक जीवन-पर्यंत घटक है। सदी के अगले चौथाई हिस्से में, वैश्विक कामकाजी आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा भारत का होगा। उन्होंने कहा कि जब तक हम अपनी युवा जनसांख्यिकी को कौशल, पुन: कौशल और कौशल उन्नयन प्रदान नहीं करते हैं और उन्हें भविष्य के काम के लिए तैयार नहीं करते हैं, तब तक हम वैश्विक जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर सकते हैं।