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धरने पर बैठे पहलवानों की कार्रवाई हेतु माँग की अति-शीघ्रता संदेहास्पद स्थिति निर्मित कर रही है

देश की शान हमारे पहलवान एक बार फिर सड़क पर उतर चुके हैं। जंतर-मंतर पर दोबारा धरना प्रदर्शन शुरू हो चुका है। सरकार ने विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया सहित पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए दिग्गज मुक्केबाज एमसी मेरीकोम की अध्यक्षता में निगरानी समिति का गठन किया था। छह सदस्यीय पैनल में पूर्व पहलवान खेल रत्न योगेश्वर दत्त, पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी तृप्ति मुरगुंडे, राधिका और टारगेट ओलिंपिक पोडियम योजना के पूर्व सीईओ राजेश राजगोपालन भी शामिल थे। पैनल ने पांच अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन सरकार ने अभी तक इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जांच पैनल ने बृजभूषण को 5-1 के फैसले से क्लीन चिट दे दी जो कि विरोध करने वाले पहलवानों के गले नहीं उतरी और वे अपना विरोध फिर से शुरू करने जंतर-मंतर लौट आए और उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की उच्चतम न्यायालय की पीठ को बताया कि प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। डब्ल्यूएफआई प्रमुख पर यौन उत्पीड़न और डराने-धमकाने का आरोप लगाने वाले पहलवान 23 अप्रैल को अपना आंदोलन दोबारा से शुरू करने के बाद से उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग कर रहे थे।

साक्षी मलिक ने जंतर-मंतर पर संवाददाताओं से कहा, ‘यह जीत की ओर पहला कदम है, लेकिन हमारा विरोध जारी रहेगा।’ पहलवान विनेश फोगाट ने कहा कि दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने में छः दिन लग गए अतः उन्हें जांच एजेंसी पर भरोसा नहीं है। पहलवान ने हालांकि कहा कि वे भारतीय जनता पार्टी के इस सांसद को उनके सभी पदों से हटाए जाने तक अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।

यहीं से संदेह उत्पन्न होता है कि विरोध करने वाले पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से ज्यादा सांसद से हटाने में रुचि ले रहे हैं। कहीं यह आंदोलन पहले से लिखी जा चुकी पटकथा पर आधारित तो नहीं है। पूरा विश्व भारत में 2024 के चुनावों पर नजर गडाए बैठा है। जिसके लिए ‘येन-केन प्रकारेण’ किसी भी तरह मोदी को रोकना एकमात्र लक्ष्य है। जिसके लिए विदेशों से फंड के रूप में धन भी पानी की तरह बहाया जा रहा है। जिसप्रकार किसान आंदोलन को सियासी मंच बनाकर भारत की छवि को पूरे विश्व में मटियामेट करने का प्रयास किया गया था और उससे पहले हरियाणा में ही वर्ग हिंसा के माध्यम से राजनैतिक रोटियां सेकी गई थी, कहीं पहलवानों का यह आंदोलन भी 2024 के लिए टूलकिट के रूप में प्रयोग तो नहीं किया जा रहा? उक्त सभी आंदोलन के नेपथ्य में एक विशेष वर्ग, राजनैतिक सांठ-गांठ का पर्दाफाश हो चुका है।

बृजभूषण शरण को किसी भी स्तर पर विशेष सुविधा का लाभ नहीं मिलना चाहिए तथा उनके विरुद्ध निष्पक्षता से जाँच होनी चाहिए किंतु महिला खिलाड़ी के नाम पर देशभर में उठ रही सहानुभूति की आड़ में कोई पार्टी अपनी गोटियाँ खेल जाये, इसका भी तो ध्यान रखना अति आवश्यक है।

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का कहना है कि धरने पर बैठे प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय पहलवान चाहते हैं कि उन्हें एशियाई, विश्व स्तर एवं ओलम्पिक खेल प्रतियोगिताओं में बिना ट्रायल दिये सीधे भाग लेने की छूट दी जाये जबकि हमने इस माँग को ठुकराते हुए यह पोलिसी बनाई कि चाहे कोई खिलाड़ी कितना भी बड़ा हो उसे अन्य पहलवानों के साथ ट्रायल देना ही पड़ेगा जो जीतेगा उसी को प्रतियोगिताओं में भाग लेने का अवसर मिलेगा। यह पोलिसी इन प्रमुख पहलवानों को रास नहीं आई। यह भी सच है कि एक समय था टीम कहीं की हो, खिलाड़ी हरियाणा के होते थे। हरियाणा में 10-12वें नंबर का पहलवान कई राज्यों में नंबर 1 पर आ जाता है। हरियाणा का 10वें 12वें स्थान पर खेलने वाला पहलवान जम्मू-कश्मीर, कभी केरल, नागालैंड, आसाम कभीउड़ीसा कर्नाटक आदि से चयनित होकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में भाग लेकर नौकरी के लिए आवेदन करता हैं। अन्य नियमानुसार खेलने वाले खिलाड़ियों का हक मारा जाता है। खिलाड़ी अपने ही राज्य से खेले। अतः हमने इस पर भी संज्ञान लेकर प्रतिबंध लगाया। अनुशासन बनाने के लिए तथा सभी खिलाड़ियों को बराबर का हक दिलाने के लिए कठोर कदम उठाने पढ़ते हैं जो कि हमने उठायें। किंतु इन नियमों की अनदेखी कर जो पहलवान अपनी मनमर्जी से खेलना चाहते थे वे आज तरह-तरह केआरोप लगाकर मुझे व भारतीय कुश्ती महासंघ को बदनाम करने पर तुले हुए हैं।

जिस तरह प्रियंका बढ़ेरा, दीपेन्द्र हुड्डा और केजरीवाल ने पहलवानों के मंच का उपयोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए किया है और जिस तरह ममता बनर्जी,अखिलेश यादव व अन्य विपक्षी दल बिना कुछ जाने समझे बयानबाजी कर रहे हैं, इससे स्पष्ट हो जाता है कि यह सब पूर्व नियोजित हैै। विपक्षी दलों ने इस बीच भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष भारत की उड़नपरी पी टी उषा को आड़े हाथों लिया जिन्होंने प्रदर्शनकारियों की यह कहकर आलोचना की थी कि ये किसी ओर के इशारे पर बयानबाजी कर रहे हैं। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि खिलाड़ियों की अनदेखी करने और उनकी बात नहीं सुनने से देश की छवि खराब हुई है। हर बात को देश की छवि पर ले जाकर स्वयं अपने ही देश को बदनाम करने का एक भी अवसर नहीं छोड़ते । हर बार की तरह सरकार को बदनाम करने वाले मामलों में अपनी वकालत के हाथों लपकने वाले कपिल सिब्बल यहां भी विरोध करने वाले पहलवानों के साथ खड़े है, या कहा जाये कि पूर्व नियोजित अपनी भूमिका निभा रहे हैं। पूरा खेल स्पष्ट हो रहा है किंतु एक तो महिला और दूसरे भारत के लिए पदक जीतने वाले सम्मानित खिलाड़ी होने के कारण सहानुभूति का आवरण बहुत सुदृढ़ बना हुआ है।

वर्तमान में महिला पहलवानों के गंभीर आरोपों के बाद भारतीय कुश्‍ती संघ के अध्‍यक्ष बृजभूषण शरण सिंह मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उनके ऊपर दिल्‍ली पुलिस ने यौन उत्‍पीड़न से जुड़े दो एफआईआर दर्ज कर लिए हैं। इसके बाद शनिवार को बृजभूषण शरण सिंह ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर कहा- ‘पहलवानों की सभी मांग मान ली गई है, फिर भी वे धरने पर बैठे हैं। कुश्‍ती संघ के अध्‍यक्ष का चुनाव होने वाला है। नया अध्‍यक्ष चुने जाने के बाद मेरा कार्यकाल अपने आप खत्‍म हो जाएगा। कई महीनों से मुझे गाली पर गाली दी जा रही है। इन लोगों की डिमांड लगातार बदलती जा रही है। पहलवानों ने जनवरी में मुझसे इस्‍तीफा देने की मांग की थी। मेरे लिए इस्‍तीफा देना बड़ी चीज नहीं पर अपराधी बनकर इस्‍तीफा नहीं दूंगा। मैं अपराधी नहीं हूं। इस्‍तीफा देने का मतलब है कि मैंने इनके आरोपों को स्‍वीकार कर लिया है। मैं शुरू से कह रहा हूं कि इसमें उद्योगपति और कांग्रेस का हाथ है। इन्हें मुझ से कष्ट है।’

आपको बता दें कि शनिवाार सुबह कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा दिल्‍ली के जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों से मिलने पहुंची थीं। इस पर बृजभूषण शरण सिंह का कहना है कि आज दिखाई पड़ गया कि इस पूरे विवाद के पीछे किसका हाथ है। अब जब मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई तो पहलवान क्यों धरने पर बैठे हैं। क्यों मोदी जी के खिलाफ और खेल मंत्रालय के खिलाफ क्यों बोल रहे हैं। प्रियंका गांधी को तथ्य नहीं मालूम कि दीपेंद्र हुड्डा ने कहां लगाकर फंसा दिया। केजरीवाल और सत्यपाल मलिक क्यों पूछ रहे हैं। इन लोगों को पूरा मामला पता नहीं जंतर-मंतर पहुंच गए। जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था। ये खिलाड़ियों का धरना नहीं है। ये षड्यंत्रकारियों का धरना है। हम बहाना हैं, निशाना हमारे ऊपर है।

लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए जंतर-मंतर पर ही आंदोलनरत्त पहलवान कुश्ती अभ्यास भी कर रहे हैं। जबकि सभी जानते हैं कि अभ्यास रैसलिंग मैट पर ही हो पाता है। ये पहलवान जाँच समिति के सदस्य अपने ही साथियों योगेश्वर दत्त, जय मुक्केबाज मैरीकॉम आदि पर भी भरोसा नहीं कर रहें। यहां तक कि विनेश फोगाट की बहन बबीता फोगाट यदि मध्यस्थता कर सारे मामले को निष्पक्षता से निपटाने का प्रयास करना चाहती थी तो उसे भी इग्नोर कर दिया गया। बढ़ते भावनात्मक दबाव के चलते सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्‍ली पुलिस ने बीजेपी सांसद पर एफआईआर दर्ज कर लिया है। इसमें पॉक्‍सो एक्‍ट भी शामिल है। इस बीच, एक न्‍यूज चैनल से बातचीत में बृजभूषण शरण सिंह ने कहा- ‘अगर मेरे इस्‍तीफा देने से पहलवानों को संतुष्टि है तो इस्‍तीफा देने के लिए तैयार हूं। मुझे न्‍याय व्‍यवस्‍था पर पूरा भरोसा है और वहां पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। पहलवानों को धरना खत्‍म कर प्रैक्टिस में जुट जाना चाहिए।’पहली बार इस मामले में बृजभूषण बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। यहां सवाल खड़ा हो रहा है कि क्‍या गिरफ्तारी से बचने के लिए वह अपने पद से इस्‍तीफा देने के बात कर रहे हैं। जाहिर है कि पॉक्‍सो एक्‍ट लगने के बाद दिल्‍ली पुलिस उनको गिरफ्तार भी कर सकती है। ऐसे में क्‍या कुश्‍ती संघ के अध्‍यक्ष गिरफ्तारी से बच पाएंगे, यह देखने वाली बात है।

उल्लेखनीय है कि बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्‍पीड़न का आरोप लगाने वालीं महिला पहलवान लंबे समय से उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। उनकी मांग है कि वह अपने पद से इस्‍तीफा तो दें ही, साथ ही उन्‍हें गिरफ्तार भी किया जाए। बृजभूषण शरण ने कहा कि धरने पर बैठे पहलवानों की डिमांड रोजाना बदल रही है। इन्हीं के कहने पर जांच कमेटी बनी। इनके कहने पर जिसे शामिल नहीं करना चाहिए था, उसे भी शामिल किया। मैंने आपत्ति नहीं की। जांच कमेटी की रिपोर्ट रोजाना इन्हें पहुंच रही थी। जांच रिपोर्ट की कमेटी के सार्वजनिक होने का इंतजार नहीं किया। अब सुप्रीम कोर्ट चले गए। वहां नया मामला लगाया। इन्होंने जिन बच्चों को पहले पेश किया, उसे जांच कमेटी के सामने क्यों नहीं लाये। एक ऑडियो दिया है, जिसमें धरने में बैठा एक खिलाड़ी कह रहा है कि किसी भी लड़की का इंतजाम कर दो, बाकि सब ठीक हो जाएगा। सारा काम जांच एजेंसी का है। लगातार सरकार के फैसले का सम्मान किया। ये लोग रोज-रोज नई डिमांड लेकर आ रहे हैं। पहले एफआईआर की डिमांड थी। अब एफआईआर हो गई तो अब जेल में डालने को बोल रहे हैं। मैं लोकसभा में हूं। ये सांसद का दायित्व विनेश फोगाट की कृपा से नहीं मिला है। क्षेत्र की जनता ने बनाया है और कई बार बनाया है। आगे बीजेपी सांसद ने कहा कि 12 साल से केवल हरियाणा के खिलाड़ियों के साथ यौन शोषण हो रहा है? देश के अन्य राज्यों के खिलाड़ियों को परेशानी नहीं हो रही है। हरियाणा के 90 प्रतिशत खिलाड़ी हमारे साथ हैं। 12 साल में एक अखाड़ा औऱ एक फैमिली है। ये कभी पुलिस स्टेशन, और फेडरेशन में शिकायत लेकर नहीं गए। ये जो आज धरने पर बैठे हैं, जब मैं 12 वर्ष से आरोपी था तो इन्होंने अपनी शादी में मुझे क्यों बुलाया। मेरे साथ फोटो क्यों लेते थे। मैं संवैधानिक पद पर हूंँ। मामला सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली पुलिस के हाथ में है। अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देते हुए 66 साल के सिंह ने कहा, “यौन उत्पीड़न के सभी आरोप झूठे हैं, और अगर वे सही पाए गए तो मैं फांसी लगा लूंगा। उन्होंने कहा कि मैंने बजरंग पुनिया सहित पहलवानों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। मामला बहुत ही पेचीदा है। एक ओर आरोप लगाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय पहलवान है तो दूसरी ओर कुश्ती खेल, कुश्ती महासंघ व सांसद की छवि दांव पर लगी है। एक ओर महिला शोषण का मामला दिखाई देता है तो दूसरी ओर विपक्षी दलों की जुगलबंदी। अतः इस मामले में सहानुभूति, भावनात्मक पक्ष को दरकिनार कर हर एंगल से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध, जय पानी का पानी हो तथा जनता का निष्पक्ष जांच पर भरोसा बना रहे।

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