272 जिलो में नशा मुक्त भारत अभियान का हुआ आरम्भ
272 जिलो में नशा मुक्त भारत अभियान का हुआ आरम्भ
दिल्ली, 15 अगस्त (सच की ध्वनि)-
ड्रग्स की लत देश में एक गंभीर समस्या बनकर उभर रही है, जो न केवल ड्रग्स का उपयोग करने वाले व्यक्ति के लिए खरतनाक है, बल्कि बड़े पैमाने पर परिवार और समाज के लिए भी खतरानाक है। इस समस्या का मुकाबला करने के लिए रोकथाम सबसे प्रभावी रणनीति साबित हुई है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ड्रग्स डिमांड रिडक्शन के लिए नोडल मंत्रालय है, जो कई हस्तक्षेपों का समन्वय, क्रियान्वयन और निगरानी करता है, जिसमे समस्या की रोकथाम, मूल्यांकन, उपयोगकर्ताओ के उपचार और पुनर्वास, सुचना और जनता के बीच जगरुकता का प्रसार शामिल है। देश में पदार्थ के उपयोग की समस्या की भयावहता का आंकलन करने के लिए, मंत्रालय ने विभिन्न पदार्थांे का उपयोग करने वाले भारतीय जनसंख्या के अनुपात और पदार्थो के उपयोग से होने वाले विकारो का पता लगाने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया है। राष्ट्रीय सर्वेक्षण के निष्कर्ष वर्ष 2019 में प्रकाशित हुए थे।
सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीयों द्वारा उपयोग किया जाने वाला शराब सबसे आम साइकोएक्टिव पदार्थ है, और इसके बाद कैनाबिस और ओपियोइड उपयोग होते है। हमारे देश में लगभग 16 करोड़ व्यक्ति शराब का सेवन करते है, 3.1 करोड़ व्यक्ति भांग उत्पादों का उपयोग करते है और 2.26 करोड़ लोग ओपियोइड का उपयोग करते है।
इस संदर्भ में मंत्रालय ने ड्रग डिमांड रिडक्शन के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की है जिसमे निवारक शिक्षा और जागरूकता सृजन, क्षमता निर्माण, उपचार और पुनर्वास के लिए घटक शामिल है, इसके अतिरिक्त गुणवत्ता मानकों की स्थापना, कमजोर क्षेत्रों में कुशल हस्तक्षेप, कोशल नशा मुक्ति, सर्वेक्षण, अध्ययन, मूल्यांकन और अनुसंधान के विकास, व्यवसायिक प्रशिक्षण और आजीविका समर्थन आदि। देश में ड्रग्स डिमांड रिडक्शन की दिशा में परियोजनाओं और योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए वित् पोषित किया जाता है, भारत सरकार, राज्य केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के माध्यम से किया जाता है, जैसे कार्यान्वयन एजेंसियां गैर सरकारी संगठन, ट्रस्ट और स्वायत्त संगठन, तकनिकी मंच, अस्पताल और जेल प्रशासन आदि।
वर्ष 2020-21 के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 272 जिलों में एक वार्षिक कार्य योजना ’नशा मुक्त भारत’ लागू की है, जो ड्रग्स के उपयोग के संदर्भ में सर्वाधिक असुरक्षित है। इन 272 जिलांे की पहचान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से प्राप्त इनपुट और मंत्रालय द्वारा किये गए व्यापक सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर की गई है।
नशा मुक्त भारत अभियान, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, आउटरीच और जागरूकता और डिमांड रिडक्शन प्रयास द्वारा सामाजिक न्याय और अधिकारिता और स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से उपचार पर, आपूर्ति पर अंकुश लगने वाला एक प्रमुख हमला है। कार्य योजना में निम्नलिखित घटक शामिल है-
1. जागरूकता सृजन कार्यकम
2. उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और स्कूलों पर ध्यान दंे
3. समुदाय में पहंुचना और आश्रित जनसंख्या की पहचान करना
4. अस्पतालों और पुनर्वास केन्द्रों में परामर्श और उपचार सुविधाओं पर ध्यान दें
5. सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम
मंत्रालय द्वारा प्रति जिले को 10 लाख रुपये की राशि अनुदान के रूप में दी जायेगी, नगरपालिका या उप-जिला अभियान समितियों का गठन किया जा सकता है और कार्यो को जिला कलेक्टर द्वारा तदनुसार परिभाषित किया जायेगा। शीर्ष-3 जिला अभियान और शीर्ष-3 राज्य अभियान राष्ट्रीय पुरस्कार और मान्यता के लिए चुने जायगे। यह अभियान 15 अगस्त 2020 से शरू हुआ है और 31 मार्च 2021 तक चलेगा।