जगाधरी, हनुमान गेट स्थित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान आश्रम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया
जगाधरी, हनुमान गेट स्थित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान आश्रम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया जिसके दौरान साधवी नीरु भारती जी ने मनुष्य के जीवन में सत्संग के प्रभाव का महत्व समझाते हुए कहा कि प्रत्येक मानव के स्वभाव, व्यवहार एवं जीवन पर संगति का गहरा प्रभाव होता है। जन्म के पश्चात मानव को जैसा वातावरण और संगति मिलती है वो ही उसका व्यक्तित्व और आचरण बन कर समाज के सन्मुख आता है। आगे साध्वी बहन जी ने विस्तारपूर्वक समझाते हुए कहा कि सत्संग के द्वारा ही मनुष्य का विवेक जागृत होता है क्योंकि सत्संग में बैठने से केवल महान विचार ही प्राप्त नहीं होते बल्कि सत्संग प्रवक्ता के दिव्य आचरण एवं व्यक्तित्व की तरंगों का प्रभाव भी श्रोता पर पड़ता है जिससे उसका जीवन भी सात्विक एवं पवित्र विचारों से ओतप्रोत हो जाता है।अच्छे विचारों को श्रवण कर लेना मात्र ही सत्संग नहीं होता अपितु सत्संग तो उस जहाज़ की तरह है जो हमें इस नश्वर संसार के किनारे से उठाकर परमात्मा के दिव्य साम्राज्य तक ले जाता है। ब्रह्मनिष्ठ संत जब परमात्मा के परम प्रकाश स्वरूप से जुड़कर अपने मुख से कुछ उच्चारित करते हैं तो वे कोरे शब्द नहीं बल्कि वह मानव के सम्पूर्ण जीवन को परिवर्तित कर देने का सामर्थ्य रखने वाले पूर्ण सूत्र होते हैं जिन्हें प्राप्त कर के सम्पूर्ण मानव जाति का कल्याण होता है। सत्संग के प्रभाव से ही मनुष्य का जीवन अधोगति से उधर्वमुखी हो जाता है। इसके प्रभाव के द्वारा ही मनुष्य अपने जीवन का उत्थान स्वयं करके मानव से देवत्व की यात्रा को सुगमता एवं सहजता से परिपूर्ण कर लेता है। अगर हम अपने समाज के महान व्यक्तियों की उदाहरण लें तो समझ पाएंगे कि उनकी महानता के पीछे केवल उनकी संगति का प्रभाव ही था।सत्संग ने ही नरेन्द्र को स्वामी विवेकानंद, राम बोला को गोस्वामी तुलसीदास और मुकुंद को योगानंद परमहंस बना दिया ।साधारण व्यक्ति से महान व्यक्तित्व का निर्माण करने की यात्रा का आरंभ और अंत भी सत्संग से ही होता है। सत्संग कार्यक्रम के अंत में साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों का गायन करके समूह संगत को कृतार्थ किया।