धान की फसल की कटाई के बाद पराली जलाने वालो पर होगी कार्रवाई : डीसी
यमुनानगर, 26 सितम्बर(सच की ध्वनि): जिलाधीश मुकुल कुमार ने आदेश जारी करते हुए कहा कि जिला की सीमा के भीतर धान की फसल की कटाई के बाद पराली को न जलाएं क्योंकि धान की फसल के अवशेषों को जलाने से जो प्रदूषण होता है, उससे मनुष्य के स्वास्थ्य, संपत्ति की हानि, तनाव, क्रोध या मानव जीवन को भारी खतरे की संभावना बनी रहती है और आग लगने से आसपास के क्षेत्रों में जानमाल की हानि भी हो सकती है तथा चारे की भी कमी हो जाती है जबकि उन अवशेषों से पशुओं के लिए तूडा (चारा) बनाया जा सकता है।
जिलाधीश मुकुल कुमार ने दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 में प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत जिला में तुरंत प्रभाव से धान की फसल के बचे हुए अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगाया है। आपातकालीन स्थिति, समय की कमी तथा परिस्थितियों के दृष्टिगत में यह आदेश संबंधित व्यक्तियों की अनुपस्थिति में पारित करते हुए तथा जन सामान्य को सम्बोधित करते हुए जिलाधीश ने सभी कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों के मालिकों को आदेश दिए कि जीरी की फसल की कटाई के दौरान अपनी कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों में सुपर स्ट्रॉ मैनेजमैंट सिस्टम अवश्य लगवाएं। बिना सुपर स्ट्रॉ मैनेजमैंट सिस्टम के कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों द्वारा जीरी की फसल काटने पर पूर्णत: रोक लगाई गई है। इन आदेशों की अवहेलना में यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 188 सपठित वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दण्ड का पात्र होगा। यह आदेश आगामी 31 दिसंबर 2020 तक प्रभावी रहेंगे।