यमुनानगर

उंगलियां यूं ना किसी पर उठाया करो, खर्च करने से पहले कमाया करो

-काव्य संध्या से सजी हरियाणा कला परिषद की शाम, कवियों ने पढ़ी रचनाएं

-काव्य संध्या में कवियों ने किया रचना पाठ, कविताओं से जगाया जोश

कुरुक्षेत्र 13 नवम्बर(सच की ध्वनि): मुश्किल कोई आन पड़ी तो घबराने से क्या होगा, जीने की तरकीब निकालो मर जाने से क्या होगा और नए चिरागों को जलाने की रात आई है सभी को अपना बनाने की रात आई है।

ऐसे ही पंक्तियों से हरियाणा कला परिषद द्वारा आयोजित काव्य संध्या कार्यक्रम में युवा कवियों ने कोरोना महामारी के दौरान लोगों में नई ऊर्जा का संचार करने का काम किया। मौका था दीपावली के अवसर पर हरियाणा कला परिषद द्वारा आयोजित साप्ताहिक आनलाईन कार्यक्रम का, जिसमें युवा कवि विरेंद्र राठौर, आदेश कुमार तथा मोहन लाल थाना ने अपने काव्य पाठ से काव्य संध्या को रोशन किया। कार्यक्रम के संचालक विकास शर्मा रहे। काव्य संध्या कार्यक्रम से पूर्व हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने सभी को दीपावली की शुभकामनाएं दी तथा कोरोना रुपी अंधकार से शीघ्र छुटकारा पाते हुए सभी के जीवन में प्रकाश और उल्लास की कामना की। काव्य संध्या का आगाज करते हुए युवा कवि विरेंद्र राठौर ने सभी कवियों का परिचय करवाया और अपनी पंक्तियां सभी से सांझा की। उन्होंने सुनाया कि प्रखर हो वेदना मन की तो खोया दिन भी मिल जाए, हो ऊंचा स्वर जो वंचित का तो सिंहासन भी हिल जाए, जो उर में धरती माता के बसा प्रसन्न होकर के, मधुर मंथर पलक सा वो कमल के भांति खिल जाए। इसके साथ ही कोरोना महामारी के दौरान पुलिस के प्रदर्शन को समर्पित पंक्तियों में विरेंद्र ने कहा कि वर्दियां तो वर्दिंया हैं, वर्दियों से रोशनी, वर्दिंया अगर ना हो तो दिक्कतें हैं दोगुनी, वर्दिंया निष्ठा भी है, और वर्दिंयां समर्पण भाव भी, वर्दियां संकल्प भी है, वर्दियां सद्भाव भी। वहीं आदेश कुमार ने अपनी रचनापाठ में सुनाया कि हंसती मुस्कुराती जिंदगानी चाहिए शब्दों की जागृत कहानी चाहिए, सब कुछ मिल जाता है आसानी से मगर, सिर्फ एक उसकी मेहरबानी चाहिए। वहीं राहत इंदौरी की पंक्तियां सबकी नजर करते हुए आदेश ने कहा कि उंगलियां यूं ना किसी पर उठाया करो, खर्च करने से पहले कमाया करो, जिंदगी क्या है खुद ही समझ जाओगे, कभी बारिश में पतंगें उड़ाया करो और लोग हर मोड़ पर रुक रुक के चलते क्यूं हैं अगर इतना डरते हैं तो घर से निकलते क्यूं हैं जवानी होती है सम्भलने के लिए लोग इसी मोड़ पर आकर फिसलते क्यूं हैं।

काव्य संध्या में वीर रस के कवि मोहन लाल थाना ने देशभक्ति से ओतप्रोत कविताओं से अपना काव्य पाठ किया। देश की सीमा पर तैनात सैनिक को समर्पित कविता पढ़ते हुए मोहन ने कहा कि मेरी अर्थी पर मेरा नाम लिख देना, जो देश के लिए मिला वो काम लिख देना, मेरे पिता से कहना तुम रोना नहीं और मैं फिर आंऊगा मेरी मां को पैगाम लिख देना। वहीं शोले हो या अंगारे बुझने मत देना, मेरे भारत का तिरंगा झुकने मत देना, शौर्य की सफलता के लिए बढ़ाए है कदम, इन बढ़ते कदमों को कभी रुकने मत देना। धारा 370 के संदर्भ में अपने भावों को व्यक्त करते हुए मोहन ने सुनाया कि पाकिस्तान के मुंह पे चांटा मारा इतने जोर से, पूरी दुनिया हिल गई इस चांटे के जोर से कश्मीर की खातिर हमने गर्दन कटवायी है, तेरी चिंता करले हमने 370 हटवायी है। अंत में विरेंद्र ने भी मां को समर्पित काव्य पाठ में सुनाया कि मां प्यारी सी मूरत है, ईश्वर सी खूबसूरत है, इसे सम्भाले रखो तुम जिंदगी की जरुरत है। एक से एक बेहतरीन कविता के माध्यम से युवा कवियों ने खूब समां बांधा। एक ओर जहां देशभक्ति से भरी पंक्तियां जोश भरने का कार्य कर रही थी, वहीं दूसरी ओर शायरी ने भी खूब वाहवाही बटौरी। अंत में सभी कवियों ने दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए हरियाणा कला परिषद का आभार व्यक्त किया।

Twitter
03:21