डॉ. विजय दहिया सिविल सर्जन यमुनानगर द्वारा ‘‘थैलेसीमिया एण्ड् ईटस् मैनेजमेन्ट’’ नामक पुस्तक का लेखन किया गया
सच की ध्वनि(ब्यूरो) यमुनानगर, 15 मार्च( ) – डॉ. विजय दहिया सिविल सर्जन यमुनानगर द्वारा ‘‘थैलेसीमिया एण्ड् ईटस् मैनेजमेन्ट’’ नामक पुस्तक का लेखन किया गया है, जिसका प्रकाशन अर्न्तराष्ट्रीय प्रकाशन भवन ‘‘लेप लम्बार्ट अकेडमीक पब्लिकेशन’’ द्वारा किया गया है। इस पुस्तक का विषय सार – ‘‘वर्तमान सुविधाओं के साथ थैलेसीमिया का प्रबंधन’’ है तथा मोर बुक्स द्वारा डॉ दहिया की पुस्तक को अग्रेजी के साथ-साथ अन्य विश्व स्तरीय मुख्य 06 भाषाआंे (फ्रेन्च, जर्मन, ईटालियन, रशियन, स्पेनिश व डच भाषा) में अनुवाद किया गया है, जो कि ऑनलाईन उपलब्ध है। उल्लेखनिय है कि स्वास्थ्य विभाग यमुनानगर द्वारा 25 फरवरी, 2021 को गुरू गोबिन्द सिंह कॉलेज ऑफ फारमैसी यमुनानगर में माननीय शिक्षा मंत्री चौ. कंवर पाल जी द्वारा विमोचन किया गया था।
सिविल सर्जन डॉ. विजय दहिया ने पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि थैलेसीमिया की बिमारी बच्चों में उनके माता-पिता से होती है। उन्होने बताया कि व्यक्ति में थैलेसीमिया मेजर या माईनर हो सकता है, थैलेसीमिया मेजर व्यक्ति को समय-समय पर रक्त चढाने की आवश्यकता होती है परन्तु थैलेसीमिया माईनर व्यक्ति को तो पता भी नहीं चलता की उसे कोई समस्या भी है, परन्तु ऐसा व्यक्ति थैलेसीमिया कैरियर का काम करता है अर्थात किसी भी प्रकार से ग्रस्त थैलेसीमिया दमपत्ती के बच्चे थैलेसीमिया से ग्रस्त हो सकते हैं। उन्होने बताया कि यदि माता-पिता दोनो थैलेसीमिया माईनर हों तो वे थैलेसीमिया कैरियर होंगे तथा उनके बच्चों में थैलेसीमिया मेजर होने की सम्भावना बढ जाती है। डॉ. दहिया ने बताया कि थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों को समय-समय पर रक्त चढाना पडता है, जिससे रक्त में आईरन की मात्रा अधिक होने लगती है, जो कि बच्चों में विभिन्न प्रकार के विकार उत्पन्न कर सकता है। अतः आईरन की मात्रा को बढने से रोकने के लिये रोगी को चिलेशन की दवायें लेनी पडती है तथा सिविल अस्पताल यमुनानगर में इस प्रकार के मरीजों के लिये रक्त चढाने व दवाओं की पूर्ण सुविधा उपलब्ध है। उन्होने बताया कि मुकन्द लाल जिला नागरिक अस्पताल में थैलेसीमिया रोगियों के लिये विशेष वार्ड बनाया गया है, जिसमें रोगियों के लिये सभी सुविधायें स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध हैं तथा समय-समय पर रक्तदान शिविरों का आयोजन भी विभाग द्वारा किये जाते हैं तथा थैलेसीमिया के लिये विशेष रक्त स्वय् सेवक भी जिले में सक्रिय हैं, जो आपातकाल में रोगियों को रक्त उपलब्ध कराते हैं।