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शहरों में कचरे के ढेरों को हटाया जा रहा है जिससे नगर सौन्दर्यकरण में प्रगति हो रही है

शहरी परिदृश्य को बदलने और उसे सुंदर बनाने के कार्य में तेजी लाने के लिए कूड़े के ढेरों और खुले कूड़ास्थलों को तेजी से हटाया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 के तहत, यह अनुभव किया गया था कि शहरी क्षेत्रों में कूड़े के ढेरों को हटाना समय की जरूरत है ताकि पर्यावरण की रक्षा की जा सके और स्वास्थ्य जोखिमों को भी कम किया जा सके। अनेक राज्य शहरी क्षेत्रों में कूड़े के इन ढेरों को हटाने और उनके स्थलों को सुंदर बनाने के लिए रचनात्मक कदम उठा रहे हैं, जिससे आखिरकार स्थाई विकास, एक स्वस्थ और हरित भविष्य को बढ़ावा मिलेगा। इससे संसाधनों के लगातार उपयोग में सहायता प्रदान करते हुए कूड़े-कचरे में कमी, रिसाइक्लिंग और पुन: प्रयोग के लिए नए रास्तों का सृजन हुआ है। भोपाल का कूड़ा स्थल बदलाव अनुकरणीय है जो शहरी स्थानों के बदलाव का प्रेरणादायक उदाहरण भी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भोपाल और दिल्ली के बीच यात्रा कराने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था जो भोपाल में ग्रीन जोन में बदले कूडे के स्थल से होते हुए गुजरती है। इस स्थल का सौन्दर्यकरण 37 एकड़ भूमि की प्राप्ति के बाद किया गया था।

नवी मुंबई ने शहरी स्थानों को उपयोगी बनाया है

नवी मुंबई नगर निगम (एनएमएमसी) ने पुलों/फ्लाईओवरों के नीचे के क्षेत्र को सामुदायिक मनोरंजन सुविधा स्थलों के रूप में बदलने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू करने के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण अपनाया है। इसका एक उदाहरण मुंबई में सानपाड़ा फ्लाईओवर के नीचे बनाए गए एक सार्वजनिक खेल परिसर में देखा जा सकता है। इस खेल परिसर का निर्माण पुल की ऊंचाई के अनुसार किया गया है, जहां एक बास्केटबॉल कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, बॉक्स क्रिकेट जोन, और स्केटिंग रिंक आदि बनाए गए हैं, इन सभी को जीवंत रंगों में चित्रित किया गया है, जिससे एक आकर्षक और नयनाभिराम स्थल का निर्माण हुआ है। इस परिसर को खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा जाल से सुसज्जित किया गया था।

सानपाड़ा फ्लाईओवर परियोजना की सफलता ने नवी मुंबई को भविष्य में ऐसी और अनेक परियोजनाओं के बारे में योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया है। घनसोली-तलावले पुल को पिछले साल नई पेंटिंग्स और नई प्रकाश व्यवस्था से पहले ही नया रूप दिया जा चुका है। इस वर्ष यह क्षेत्र एक बगीचे और औद्योगिक कामगारों के लिए बैठने की जगह के रूप में परिवर्तित हो जाएगा। सानपाड़ा ब्रिज के दूसरे खंड में एक योग केंद्र स्थापित किया जाएगा  और सीवुड्स ब्रिज के लिए खेल परिसर के साथ एक सौंदर्यीकरण अभियान चलाया जाएगा।

कभी उपेक्षित स्थान अब गतिविधियों के बड़े केंद्र बन गए हैं जो सामाजिक संपर्क को बढ़ावा देने के साथ-साथ नागरिकों के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली को भी बढ़ावा दे रहे हैं। इन्होंने न केवल उपेक्षित क्षेत्रों को नई ऊर्जा प्रदान की है, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण को भी  बेहतर बनाया है।

कूड़े के ढेर को समाप्त करने के लिए सूरत की रचनात्मक पहल

सूरत में कचरे के ढेर का जनता के बैठने के क्षेत्र में बदलाव नगर की एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। कचरे के ढेर को समाप्त करने के लिए, सूरत नगर निगम (एसएमसी) ने कचरे के ऐसे अनेक स्थानों को बैठने की जगह के रूप में परिवर्तित किया है। इस पहल के तहत, सूरत ने पहले कचरे के ढेर की पहचान की और फिर उन्हें बेंच, प्रकाश और कूड़ेदान लगाकर बैठने की जगह के रूप में परिवर्तित किया। इसने हरित वातावरण का निर्माण करने और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए यहां पेड़ और झाड़ियाँ भी लगाई हैं। ‘संजय नगर सर्कल’ ऐसे बदलाव के कुछ उदाहरणों में से एक है, जहां कूड़ा डालने के स्थल को एसएमसी द्वारा बैठने की एक सुंदर जगह में बदल दिया गया है। निगम शतप्रतिशत कचरा संग्रह सुनिश्चित करने के लिए आसपास के क्षेत्रों से घर-घऱ कचरा लेने के लिए दैनिक कवरेज सुनिश्चित करता है।

पटना की स्वच्छता यात्रा: कचरे के बिंदुओं से हरित क्षेत्र

पटना काफी लंबे समय से कूड़े के ढेरों की बढ़ती संख्या से परेशान था। इन कचरे के ढेरों को हरित क्षेत्र में बदलने और एक स्थायी वातावरण को बढ़ावा देने के लिए, पटना नगर निगम ने बड़े पैमाने पर कूड़ा डालने के स्थानों को परिवर्तित करने का अभियान शुरू किया, जिसमें शहर कुल 630 कूड़ा डालने के स्थानों को साफ करके और सुंदर बनाया गया। बड़े पैमाने पर कूड़े के ढेरों को हटाने का अभियान शहर में बड़े विकास के कार्य के रूप में उभर कर सामने आया।

यह परिवर्तन अभियान पीएमसी के अधिकार क्षेत्र के 19 क्षेत्रों और 19 वार्डों को शामिल करते हुए 4 चरणों में आयोजित किया गया। पीएमसी के अधिकारियों ने जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जिसमें उन्होंने वाद्य यंत्र बजाते हुए वार्डों में रैलियों का आयोजन किया और नागरिकों से अपने शहर को साफ रखने के लिए आग्रह किया। सूचीबद्ध कचरे के ढेरों को व्यापक रूप से साफ किया गया और निगम ने निवासियों से शहर को साफ रखने और कचरा फैलाने वाले लोगों को डिस्पोजेबल कप, बोतलें, रैपर और रसोई के कचरे से बनी मालाएं पहनाई।

कचरा डालने वाले 630 स्थलों का बदलाव

पटना नगर निगम ने ऐसे स्थलों का हरित क्षेत्र में परिवर्तन करने के लिए कचरे के ढेरों का परिवर्तन करने का अभियान शुरू किया। साफ किये गए स्थलों का पौधे लगाकर, पेंटिंग करके, रबर ट्यूब, टायर, टिन और अन्य प्लास्टिक सामग्रियों जैसे बेकार सामानों से बने बेंच लगाकर सौन्दर्यकरण किया गया।

     

अनेक कूड़ाघरों को भी सेल्फी स्थलों के रूप में परिवर्तित किया गया। पीएमसी ने नए वर्ष के अवसर पर लिट्टी चोखा कार्यक्रम, मकर संक्रांति पर दही चूरा और पतंग महोत्सव सहित इन परिवर्तित कूड़ा स्थलों पर विभिन्न त्योहार और कार्यक्रम भी आयोजित किये।

कचरे के ढेर को सुंदर शहरी क्षेत्र में बदलना इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि नवाचारी विचार और सामुदायिक जुड़ाव किस प्रकार शहरों में पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों का समाधान करने में मदद कर सकते हैं। इस प्रक्रिया से न केवल स्थानीय लोगों के जीवन की गुणवत्ता बेहतर होगी बल्कि सभी के लिए एक स्थायी और हरित वातावरण का भी निर्माण होगा।

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