यमुनानगर

शहरी स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग (ए) को आरक्षण देने पर मेयर ने जताया सीएम का आभार

यमुनानगर।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में शहरी स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग (ए) के राजनीतिक आरक्षण अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए गठित हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान की गई। रिपोर्ट को स्वीकृति मिलने के बाद अब नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं में मेयर व अध्यक्षों के पदों की संख्या का आठ प्रतिशत नागरिकों के पिछड़े वर्ग ब्लॉक-ए के लिए आरक्षित होगा। आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के लिए मेयर मदन चौहान ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मांग की थी। सोमवार को आयोग की रिपोर्ट को मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक में स्वीकृति प्रदान की। जिस पर मेयर मदन चौहान ने मुख्यमंत्री, राज्य मंत्रिमंडल व पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन न्यायमूर्ति दर्शन ‌सिंह व कमेटी का आभार जताया है।

मेयर मदन चौहान ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति दर्शन सिंह की अध्यक्षता में गठित आयोग ने पिछड़े वर्गों के नागरिकों के राजनीतिक पिछड़ेपन का आंकलन करने के लिए गहन जांच की। आयोग ने पाया कि पिछड़ा वर्ग ब्लॉक-ए (बीसी-ए) के लोगों को राजनीतिक सेटअप में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के कारण उन्हें शहरी स्थानीय निकायों में राजनीतिक आरक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है। हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग ने अधिनियम की धारा 9 के तहत राज्य में पिछड़े वर्गों की वर्तमान सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थितियों का अध्ययन करने, जनकल्याणकारी योजनाओं में पिछड़े वर्गों को लाभ, प्रतिनिधित्व और भागीदारी का अध्ययन करने, शिक्षण संस्थानों में पिछड़े वर्गों के छात्रों व युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का अनुमान लगाने तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि के उपायों की रिपोर्ट तैयार की। आयोग के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश सरदार दर्शन सिंह, सदस्य श्याम लाल जांगड़ा व अन्य ने मिलकर प्रदेश की सभी छह डिवीजनों में जाकर यह अध्ययन किया। जिसके बाद इन्होंने इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौपी। इस रिपोर्ट में उन्होंने पिछड़ा वर्ग ए को आरक्षण देने की मांग की। ‌सोमवार को आयोग की इस रिपोर्ट को मुख्यमंत्री ने राज्य मंत्रीमंडल की बैठक में स्वीकृत कर दिया। अब प्रत्येक नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका में पार्षद का पद नागरिकों के ब्लॉक-ए के पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित होगा और इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या उस क्षेत्र में सीटों की कुल संख्या के समान अनुपात में हो सकती है। शहरी स्थानीय क्षेत्र, उस शहरी स्थानीय क्षेत्र में कुल आबादी के नागरिकों के पिछड़े वर्ग ब्लॉक-ए की आबादी के आधे प्रतिशत के रूप में। यदि दशमलव मान 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक तक पूर्णांकित किया जाएगा। बशर्ते कि यदि पिछड़े वर्ग (ए) की आबादी सभा क्षेत्र की कुल आबादी का दो प्रतिशत या अधिक है तो प्रत्येक निकाय में पिछड़े वर्ग (ए) से संबंधित कम से कम एक पार्षद होगा। नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं में महापौरों / अध्यक्षों के पदों की संख्या का आठ प्रतिशत नागरिकों के पिछड़े वर्ग ब्लॉक-ए के लिए आरक्षित होगा।
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ऐसे सीट होंगी आरक्षित –

मेयर चौहान ने बताया कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शीर्ष न्यायालय के निर्देशानुसार आरक्षण किसी भी नगर निकायों में अनुसूचित जाति और बीसी (ए) के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। आगे स्पष्ट किया गया है कि  पिछड़े वर्ग (ए) के लिए इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या को अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या  के साथ जोड़ने पर यदि उनकी कुल संख्या नगर निकायों  की कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक हो जाती है तो पिछड़े वर्ग (ए) के लिए आरक्षित सीटों की संख्या को वहीं तक रखा जाएगा जिससे कि अनुसूचित जाति और बीसी (ए) का आरक्षण नगर पालिका, नगर परिषद व नगर निगम के सदस्य की कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक न हो। उन्होंने बताया कि उदाहरण के लिए शहरी स्थानीय क्षेत्र में, “ए” नागरिकों के ब्लॉक ए के पिछड़े वर्ग की आबादी उस शहरी स्थानीय क्षेत्र की कुल आबादी का 25 प्रतिशत है, तो 12.5 प्रतिशत सीटें पिछड़े वर्ग के ब्लॉक-ए नागरिकों के लिए आरक्षित होंगी। जहां किसी दिए गए शहरी स्थानीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति की आबादी 50 प्रतिशत या उससे अधिक है, वहां के नागरिकों के पिछड़े वर्ग ब्लॉक-ए को उनकी आबादी के प्रतिशत के बावजूद कोई आरक्षण नहीं मिलेगा। जहां अनुसूचित जाति की जनसंख्या शहरी स्थानीय निकाय की जनसंख्या का 40 प्रतिशत है तथा शहरी स्थानीय क्षेत्र में 10 सीटें हैं तो अनुसूचित जाति के लिए 4 सीटें आरक्षित होंगी, शेष एक सीट पिछड़ा वर्ग ब्लॉक के लिए उपलब्ध होगी।

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