संसद की कार्यावाही के बिना मोदी सरकार द्वारा लाए गए किसान-विरोधी अध्यादेश किसान और संविधान पर कुठाराघात: निर्मल सिंह
संसद की कार्यावाही के बिना मोदी सरकार द्वारा लाए गए किसान-विरोधी अध्यादेश किसान और संविधान पर कुठाराघात: निर्मल सिंह
बोले मोदी सरकार के अध्यादेश और उन्हें दबे-पांव लागू करने का प्रकरण, दोनों गैर-संवैधानिक
जगाधरी, 12 अगस्त (सच की ध्वनि)- किसान यूनियन ने हमेशा से ही किसान के हकों की लड़ाई लड़ी है और किसानों के हर मुद्दे को बखूबी से पूरे भारतवर्ष के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश में भी उठाया है। हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट के संस्थापक व पूर्व मंत्री निर्मल सिंह ने कहा कि आज बड़े ही दुख की बात है कि देश के स्वतंत्रता दिवस पर देश का अन्नदाता अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए सड़कांे पर उतरने को मजबूर हुआ हैं। उन्होंने कहा कि आज किसान, जो कि अन्नदाता के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी कहलाता है, भाजपा सरकार की नयी नीतियों और अध्यादेश के चलते आत्महत्या की ओर कदम बढ़ाने को मजबूर किया जा रहा है। मोदी सरकार के ये अध्यादेश और दबे पांव उन्हें पीछे के रास्ते से लागू करने का प्रकरण, दोनों गैर-संवैधानिक हैं। करोना महामारी के समय ऐसी क्या आपातकालीन स्थिति बनी थी कि मोदी सरकार ने सदन की गैर उपस्थिति में पिछले दरवाजे से अध्यादेश के रूप में ये गैर-संवैधानिक प्रावधान लागू करने की शुरुआत करी?
देश के हर किसान संगठन के भीषण विरोध के बावजूद भाजपा सरकार ने अपने तीन नए अध्यादेश आगे बढ़ा दिए हैं, जिनके तहत किसानों को दिया जाने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य, जो कि हमेशा से हरियाणा में बहुत अच्छे स्तर पर दिया जाता था, उस पर भी कुठाराघात हो रहा है। ये नए अध्यादेश किसी भी तरह से किसान का कोई फायदा या उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखा रहे। पर साफ-साफ नजर आ रहा है कि ये बड़े-बड़े उद्योगों और उद्योगपतियों को बड़े स्तर पर ठेकेदारी प्रथा करने का एक साफ रास्ता प्रदान कर रहे हैं।
निर्मल सिंह ने कहा कि जो तीन अध्यादेश सरकार द्वारा लाए जा रहे है किसान आज उनका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान आज इस बात से भी चिंतित है कि उनको धीरे-धीरे कागजी कार्यवाही में सरकार द्वारा इतना उलझा दिया जाएगा कि वह किसान की परेशानियों का कारण बन जाएगी। किसानों ने बहुत सी प्राकृतिक आपदाएं झेली हैं, लेकिन वह फिर भी भगवान से लड़कर थक-हार कर सो जाता था। परंतु, अगर कागजों की लिखा-पढ़ी का बोझ उस पर इस तरह बढ़ता गया तो वह अपनी यह नींद भी खो देगा।
उन्होंने कहा कि हम मौजूदा सरकार को आगाह करते है कि किसान जब-जब सड़कांे पर उतरा है, उसने बड़ी-बड़ी सरकारों का टिकना मुश्किल कर दिया है और राजनैतिक बदलाव अवश्यम्भावी किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट किसान यूनियन का समर्थन करता है और अपने मोर्चा के सभी साथियों से आहवाहन करता है कि अपने किसान भाइयों का सहयोग करें।
किसान बचेगा तभी देश बचेगा। इस बात का संज्ञान लेते हुए कि किसान यूनियन एक गैर राजनीतिक संस्था है, आज किसी को भी उनके नाम पर राजनीतिक रोटियां नहीं सेकनी चाहिए, परंतु यह सुनिश्चित करना चाहिए कि है जहां भी किसान भाई अपनी समस्याओं को लेकर एकत्रित हो, उनका पूर्ण सहयोग किया जाए। सरकार से उन्हें न्याय दिलवाने में एड़ी-चोटी का जोर लगाया जाए। हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट किसानों की लड़ाई में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर चलेगा।