रक्त का नमूना व इंजेक्शन लगाते समय नीडल सिरिंज से कभी-कभी होने वाले हेपेटाइटिस व एचआईवी रोग से स्वास्थ्य कर्मियों को बचाया जा सकेगा।
सच की ध्वनि। अजय वर्मा ।फरीदाबाद। रक्त का नमूना व इंजेक्शन लगाते समय नीडल सिरिंज से कभी-कभी होने वाले हेपेटाइटिस व एचआईवी रोग से स्वास्थ्य कर्मियों को बचाया जा सकेगा। इसके लिए 58 स्थित हिन्दुस्तान सिरिंजिस एंड मेडिकल डिवाइसिस (एचएमडी) ने डिस्पोजेबल और ऑटोडिसेबल सिरिंज तैयार की है। इस डिस्पोजेक्ट सिंगल यूज सिरिंज, सेफ्टी नीडल के साथ शहर में लांच किया है। इस मौके पर कंपनी के प्रबंध निदेशक राजीव नाथ और कार्यकारी निदेशक सोहेल नाथ ने कहा कि सेफ्टी नीडल युक्त नई डिस्पोजेक्ट सिरिंजों के बल पर अगले तीन वर्षों में 60-70 प्रतिशत मार्केट शेयर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। आने वाले दिनों में देशभर में डिस्पोजेक्ट लांच किया जाएगा।
अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को इंजेक्शन लगाते समय या रक्त के नमूने लेते समय कई बार स्वास्थ कर्मी को ये नहीं पता होता है कि मरीज किस प्रकार की बीमारी से पीड़ित है। ऐसे में हेपेटाइटिस और एचआईवी के मरीजों के सैंपल लेते समय छोटी सी चूक उन पर भारी पड़ जाती है और संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। हर साल देश में 44.5 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मी नीडल से चोट का शिकार हो जाते हैं। इस बार घटनाओं से स्वास्थ्य कर्मियों को बचाने के उद्देश्य से एचएमडी डिस्पोजेक्ट सेफ्टी नीडल सिरिंज लांच की है। एचएमडी के प्रबंध निदेशक राजीव नाथ ने कहा सेफ्टी शील्ड (एसआईपी शील्ड) से युक्त डिस्पोजेक्ट सिरिंज नीडल स्टिक इंजरी की चिंताओं का समाधान करती है। हमारी
प्रतिबद्धता को दोहराती है कि बतौर मार्केट लीडर हम स्वास्थ्य क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए निरंतर कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ’मेक इन इंडिया’ पहल का यह बहुत ही बढ़िया परिणाम है। इसके जरिए हम विकसित भारत का लक्ष्य हासिल कर पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा देश आत्मनिर्भरता के जज्बे के साथ चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण एवं निर्यात का वैश्विक पावरहाउस बनने के लिए तैयार है।
कंपनी के कार्यकारी निदेशक सोहेल नाथ ने कहा कि चिकित्सा उपकरण उद्योग में इनोवेशन और वृद्धि के लिए काफी संभावनाएं हैं तथा हैल्थकेयर टेक्नोलॉजी का भविष्य सुदृढ़ अनुसंधान एवं विकास पर निर्भर है। भारत में डिस्पोजेबल सिरिंज का बाजार 5 अरब यूनिट और 5-6 अरब नीडल सालाना से अधिक है, इस बाजार की 80 प्रतिशत आपूर्ति निजी क्षेत्र की कंपनियां करती हैं। ’’हमारे इनोवेटिव डिस्पोजेक्ट के साथ हम अगले तीन वर्षों में बाजार की 60 से 70 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण एवं निर्यात के लिए आत्मनिर्भर केंद्र बनने के लिए प्रयासरत है और यह लांच इसी दिशा में देश को मजबूत करेगा। एचएमडी का लक्ष्य है क्रांतिकारी डिस्पोजेक्ट सेफ्टी सिरिंज के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों को पेश आने वाली नीडल स्टिक इंजरी से बचाना, संक्रमण नियंत्रण की लागत घटाना है।