अब भारतीय स्टेट बैंक भी नहीं छिपा पाएगा भाजपा और मोदी सरकार का भ्रष्टाचार : अशोक मैहता
अब भारतीय स्टेट बैंक भी नहीं छिपा पाएगा भाजपा और मोदी सरकार का भ्रष्टाचार : अशोक मैहता
अम्बाला, 11 मार्च: हरियाणा के पूर्व सूचना आयुक्त एवं कांग्रेस नेता अशोक मैहता ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद केंद्र सरकार के दवाब में आकर भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों ने चुनावी बॉन्ड की रिपोर्ट उपलब्ध करवाने के लिए 30 जून का समय मांगा था, ताकि आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के कारनामों पर पर्दा डाला जा सके, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये से स्पष्ट है कि भारतीय स्टेट बैंक भी अब भाजपा और मोदी सरकार के भ्रष्टाचार को छिपा नहीं पाएगा।
सोमवार को यहां जारी विज्ञप्ति में अशोक मैहता ने आरोप लगाया कि जिन बड़ी-बड़ी कंपनियों ने भारतीय जनता पार्टी को चुनावों में चंदा दिया, मोदी सरकार द्वारा उनके कर्ज माफ किए गए और उनके हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी आर्थिक नीतियों में फेरबदल किया गया। इसके अलावा मोदी सरकार ने देश के बड़े-बड़े सरकारी संस्थाओं को बेचने का जो सिलसिला शुरू किया है, उसके पीछे भी चुनावी बॉन्ड के नाम पर शुरू हुई यही रिश्वतखोरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के नेता अक्सर यह बात भूल जाते हैं कि देश में ईमानदार एवं सुदृढ़ न्यायपालिका भी है जो उनकी हर गतिविधि पर निगाह जमाए हुए है, लेकिन हमारी न्यायपालिका ने बार-बार मोदी सरकार को आईना दिखाने का काम किया है। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट कई मामलों में केंद्र सरकार को आईना दिखा चुका है, लेकिन इसके बावजूद केंद्र की मोदी सरकार कोई सबक लेने को तैयार नहीं है।
अशोक मैहता ने कहा कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के तमाम नेता पारदर्शिता बरतकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन साथ ही चुनावी बॉन्ड के नाम पर राजनीति में भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी की सबसे बड़ी जड़ पार्टी फंड में योगदान देने वाली कंपनियों के नामों पर पर्दा डालने का काम बनाते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी फंड में योगदान देना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन इसमें पारदर्शिता होनी जरूरी है, ताकि आम जनता को भी यह पता चल सके कि किस व्यक्ति, कारोबारी अथवा कंपनी ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया और सत्ता में आने के बाद उस पार्टी की सरकार ने इन चंदा देने वालों के हितों की रक्षा के लिए कोई गैर-कानूनी काम तो नहीं किया।
अशोक मैहता ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग को सभी राजनीतिक दलों पर दबाव डालकर उन्हें पिछले 10 वर्ष के दौरान मिले चंदे का हिसाब सार्वजनिक करना चाहिए, क्योंकि चुनावों के दौरान मिलने वाला यही चंदा देश में भ्रष्टाचार की जननी है। यदि चुनावी बॉन्ड की प्रक्रिया सार्वजनिक होगी तो निश्चित तौर पर देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।