यमुनानगर

पूर्व प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह जी ने व्यापार और विकास अर्थशास्त्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान बनाई- अशोक मैहता

पूर्व प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह जी ने व्यापार और विकास अर्थशास्त्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान बनाई- अशोक मैहता

डाक्टर मनमोहन सिंह जी ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर मौद्रिक नीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई- अशोक मैहता

डाक्टर मनमोहन सिंह जी ने वित्त मंत्री रहते हुए भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए थे- अशोक मैहता

डाक्टर मनमोहन सिंह जी भारत के 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री पद पर रहे- अशोक मैहता

पूर्व प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह जी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम लागू किया- अशोक मैहता

भारत सरकार की तरफ से 1987 में डाक्टर मनमोहन सिंह पद्म विभूषण सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया- अशोक मैहता

डाक्टर मनमोहन सिंह जी भाईचारा व सादगी के प्रतिक थे- अशोक मैहता

पूर्व प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह जी देश के महान अर्थशास्त्री थे- अशोक मैहता

, 3 जनवरी( हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा अम्बाला (शहजादपुर ) में देश के अनमोल रत्न पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की श्रद्धांजलि सभा कांग्रेस भवन में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश वरिष्ठ नेता अशोक मैहता के नेतृत्व में आयोजित की गई। जिसमें भारी संख्या में कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधियों ने स्व. डाक्टर मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्य सूचना आयुक्त हरियाणा अशोक मैहता ने स्व. डॉक्टर मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने के उपरांत कहा कि स्व. डॉक्टर मनमोहन सिंह एक सिख होने के नाते, वे इस पद पर आसीन होने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के पहले व्यक्ति थे । वह पूरे संसार में महान अर्थशास्त्री थे। उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति ओबाक ओबामा ने उन्हें उनकी बेहतरीन आर्थिक नीतियों की बदौलत अपना गुरु स्वीकार किया था। उन्होंने अपनी प्रतिभा से व्यापार और विकास अर्थशास्त्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरी दुनिया में अलग पहचान बनाई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर मौद्रिक नीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अशोक मैहता ने कहा कि 1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने निरन्तर पाँच वर्षों तक कार्य किया, जबकि 1990 में यह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। 1991 में स्व. डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति में कदम रखा, यह वह समय था जब भारत आर्थिक संकट से जूझ रहा था। ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव ने डॉक्टर मनमोहन सिंह को देश का वित्त मंत्री नियुक्त किया था। डॉक्टर मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री रहते हुए भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए थे। जब उन्हें 1991 में वित्त मंत्री बनाया गया, तो देश आर्थिक पतन के कगार पर था। सिंह ने रुपये का अवमूल्यन किया, करों को कम किया, सरकारी उद्योगों का निजीकरण किया और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया, ऐसे सुधार जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बदलने और आर्थिक उछाल को बढ़ावा देने में मदद की।स्व. मनमोहन सिंह भारत देश के 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री पद पर रहे। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) लागू किया। वहीं सूचना का अधिकार अधिनियम आरटीआई भी उनके कार्यकाल में लागू किया था। भारत सरकार की तरफ से 1987 में डॉक्टर मनमोहन सिंह पद्म विभूषण सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया। डॉक्टर मनमोहन सिंह भाईचारा व सादगी के प्रतीक थे, जिन्हें देश हमेशा याद रखेगा। वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक मैहता ने कहा कि सिंह ने एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की अध्यक्षता की, लेकिन बढ़ती ईंधन लागत ने मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय वृद्धि की, जिसने देश के गरीबों के लिए सब्सिडी प्रदान करने की सरकार की क्षमता को खतरे में डाल दिया। भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के प्रयास में, सिंह ने 2005 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ परमाणु सहयोग समझौते के लिए बातचीत की। इस सौदे में भारत को परमाणु संयंत्रों के लिए ईंधन प्रौद्योगिकी प्राप्त करने और विश्व बाजार में परमाणु ईंधन खरीदने की क्षमता दी गई। विदेश में, संभावित सहयोग समझौते का उन लोगों द्वारा विरोध किया गया, जो भारत के परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने से परेशान थे ; भारत में, सिंह की संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बहुत करीबी संबंध बढ़ाने के लिए आलोचना की गई , जो, उनके आलोचकों का मानना ​​​​था, इस सौदे का उपयोग भारतीय सरकार में शक्ति का लाभ उठाने के लिए करेगा। 2008 तक इस सौदे पर प्रगति ने सरकार के संसदीय बहुमत के सदस्यों – विशेष रूप से कम्युनिस्ट पार्टियों – को सिंह की सरकार की निंदा करने के लिए प्रेरित किया और अंततः जुलाई 2008 के अंत में संसद में विश्वास मत के लिए दबाव डाला। सिंह की सरकार मतदान में बाल-बाल बच गई। पूर्व प्रधानमंत्री को शिक्षक के पद पर भी खासा तजुर्बा था। वह पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के सीनियर लेक्चरर रहे। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इकोनामिक्स में भी अध्यापन कार्य किया।

इस अवसर पर शिव दयाल नंबरदार, लखमीर चंद चेयरमैन एस सी प्रकोष्ठ, सुशील कुमार, अमृत लाल नंबरदार, गोपाल दास , अरशद अली, रमेश जौहर, सतीश सैनी, बिल्लू ग्रेवाल, संजीव कुमार, संजय बख्शी, चंद्र पाल केसर, सतपाल, संजय डांग, बलदेव साहनी आदि प्रतिनिधियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

फोटो :

  • हरियाणा प्रदेश कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक मैहता व अन्य नेतागण पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए।
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