यमुनानगर

अमेरिका से आए युवाओं का पुनर्वास करे सरकार : अशोक मैहता

अमेरिका से आए युवाओं का पुनर्वास करे सरकार : अशोक मैहता
ये लोग सैर-सपाटे के लिए नहीं, बल्कि बेरोजगारी से त्रस्त होकर अपनी आजीविका कमाने के लिए गए थे अमेरिका
अम्बाला, 7 फरवरी: हरियाणा सूचना आयोग के पूर्व आयुक्त एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक मैहता ने कहा कि अमेरिका से डिपोर्ट किए गए युवा कोई सैर-सपाटे के लिए वहां नहीं गए थे, बल्कि भारत में बेरोजगारी से त्रस्त होकर अपनी आजीविका कमाने के लिए गए थे। यह सही है कि उन्हें अवैध डंकी रूट के बजाय कानून तौर पर वीसा लेकर विदेश जाना चाहिए था, लेकिन यह भी सच्चाई है कि यदि ये लोग अमेरिका में सैटल हो जाते तो अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा भारत में बसे अपने परिवारों को भेजते या भारत में निवेश करके हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते, तब हमें इन्हीं लोगों पर गर्व होता। उन्होंने कहा कि कई कारणों से अब इन युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया है, इसलिए केंद्र सरकार को एक नीति बनाकर इनके पुनर्वास का इंतजाम करना चाहिए।
शुक्रवार को यहां जारी विज्ञप्ति में अशोक मैहता ने सवाल उठाया कि जब कोलंबिया जैसा छोटा देश अपने राष्ट्रीय स्वाभियान की खातिर अपना विमान भेजकर अमेरिका से डिपोर्ट हुए अपने नागरिकों को सम्मान के साथ वापिस ला सकता है तो भारत सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका को अपना मित्र देश और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को अपना व्यक्तिगत मित्र बताते नहीं थकते, लेकिन जिस प्रकार हमारे युवाओं के साथ आतंकियों जैसा व्यवहार किया गया, वह हमारी विदेश नीति पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है।
अशोक मैहता ने कहा कि लगभग 40 घंटे की अमेरिका-भारत यात्रा के दौरान इन युवाओं के साथ हथकड़ी-बेड़ी लगाकर जो सलूक किया गया, वह हृदयविदारक है। हद तो तब हो गई, जब महिलाओं और बच्चों के साथ भी जानवरों जैसा व्यवहार किया गया, जो न केवल भारत-अमेरिका के कूटनीतिक संबंधों, बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है। सवाल यह उठता है कि संसद में अमेरिकी रुख को न्यायोचित ठहराने वाले विदेश मंत्री एस. जयशंकर क्या महिलाओं और बच्चों के साथ हुए दुव्र्यवहार को भी उचित मानते हैं।
अशोक मैहता ने कहा कि किसी भी देश के नागरिक, उस देश की सरकार की जिम्मेदारी होते हैं और खुद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बात को स्वीकार किया है। ऐसे में, जब भारत सरकार को यह पता चल गया था कि इन भारतीय युवाओं को डिपोर्ट किया जाना है तो केंद्र सरकार को बिना समय गंवाए अपना विमान अमेरिका भेजना चाहिए था और सम्मान के साथ इन युवाओं को भारत लाकर फिर जो भी कानूनी प्रक्रिया है, उसका पालन किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार ने अभी भी लगभग 18 हजार भारतीय को डिपोर्ट करने की सूची बनाई हुई है, केंद्र सरकार को अब हुई चूक आगे नहीं दोहरानी चाहिए।

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