कोरोना काल में बच्चों को भी पड़ रही निरंतर कॉउंसलिंग की जरूरतः भानू प्रताप
यमुनानगर, 25 अगस्त (सच की ध्वनि)- कोरोना महामारी की वजह से जहां पूरे देश में सभी प्रकार की गतिविधियों पर असर पड़ा है वहीं स्कूलों अथवा शिक्षण संस्थान बंद होने से बच्चो की मानसिक, पारिवारिक व सामाजिक मामलों में भी विपरीत असर देखने को मिल रहा है। जो बच्चे आम दिनों में स्कूल जाते थे स्कूल से आकर घर पर अपनी पढ़ाई, ट्यूशन आदि पर व्यस्त रहते थे बाकी समय उनका खेल कूद में व्यतीत होता था। इसके बाद परिवार में माता-पिता व अभिभावकों के साथ भी एक सकारात्मक समय व्यतीत होता था। पर अब न स्कूल है और न ही ट्यूशन और खेलने आदि के लिए बच्चंे बाहर नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे में उनके ऊपर अत्यधिक मानसिक व भावनात्मक दबाव है। ऐसे में अभिभावकों के कुछ भी कहने पर वो अत्यधिक उत्तेजित हो रहे हैं। चाइल्ड लाइन 1098 पर निरंतर इस तरह के केसों की संख्या बढ़ रही है। अभी एक दिन पहले इसी प्रकार से माता-पिता के डांटने से भाई-बहन बिना बताए घर से कहीं चले गए, तब परिवार वालों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। जिससे बच्चे सकुशल अपने घर वापस आ सके। तब पुलिस कंट्रोल रूम से इसकी जानकारी चाइल्ड लाइन को प्राप्त हुईं। चाइल्ड लाइन टीम ने बच्चों के परिजनों से संपर्क किया। उन्होंने अपना पूरा विवरण दिया, जिसके आधार पर कार्यवाही शुरू की गई और उसके बाद बच्चों के पिता का फोन आया कि हमारे बच्चे नरवाना पुलिस स्टेशन में सकुशल है। हम पुलिस के साथ उन्हें वापस लेने जा रहे हैं। फिर अगले दिन बच्चों के पिता को फोन किया तो उन्होंने कहा कि वे इस समय थाने में है तभी चाइल्ड लाइन टीम बच्चों से मिलने थाने पहुंची उनसे बात की गई जिसमें बच्चों ने बताया कि वे तारक मेहता सीरीयल से प्रभावित होकर उनसे मिलने के लिए मुम्बई जाना चाहते थे पर हमें चंडीगढ़ से कोई बस नहीं मिली तो हमें किसी ने नरवाना थाने में छोड़ दिया और फिर हम वहां से वापस आ गए। दोनों बच्चे घबराये हुए थे उनकी काउंसलिंग की गई। ताकि वे भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न करें। चाइल्ड लाइन के समन्वयक भानू प्रताप ने कहा कि चाइल्ड लाइन निरंतर इन परिस्थितियों में भी बच्चों से संवाद स्थापित किए हुए हैं और ऐसे केस निरंतर चाइल्ड लाइन 1098 पर दर्ज हो रहे हैं। चाइल्डलाइन उनकी समस्यायों को सुनकर उन्हें सुलझाने का प्रयास कर रही है और इसका एकमात्र उपाय बच्चों की समय रहते काउंसलिंग है। उन्होंने बताया कि माता-पिता तब काउंसलिंग के लिए आते हैं, जब बात उनके हाथ से निकल जाती है जबकि आजकल की परिस्थितियों में सभी बच्चों को काउंसलिंग की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है। जिससे पढ़ाई, करियर, परिवार, समाज, कोरोना आदि को लेकर जो चिंताओं का दबाव उनके ऊपर बना हुआ है उसको समय रहते दूर किया जा सके। भानू प्रताप ने बताया कि बच्चे निरंतर घरेलू हिंसा की शिकायतंे भी लगातार कर रहे हैं। जिसमें माता-पिता के द्वारा बेवजह डांटना, मार पिटाई आदि की शिकायतें भी कर रहे हैं। चाइल्ड लाइन द्वारा माता-पिता व बच्चों की निरंतर काउंसलिंग की जा रही है। कोई भी व्यक्ति इस तरह के बच्चों की काउंसलिंग के लिए 1098 पर इसकी सूचना दे सकते है तथा बच्चों को लेकर चाइल्ड लाइन कार्यालय में भी आ सकते हैं। जिससे बच्चों को सही दिशा मिल सके और वे अपने आप को अकेला न समझें।