यमुनानगर

फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर जिला स्तरीय किसान मेले का हुआ आयोजन

यमुनानगर, 7 नवम्बर(सच की ध्वनि): चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि विज्ञान केंद्र दामला द्वारा गांव बकाना में फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर जिला स्तरीय किसान मेले का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ बीआर कंबोज ने मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत की।
डॉ. बीआर कंबोज ने किसानों को संबोधित करते हुए आह्वान किया कि किसानों को खेती के साथ-साथ फसल अवशेष प्रबंधन को भी उतना ही महत्व देना चाहिए जितना किसान खेती से जुड़ी तकनीकी को महत्व देता आ रहा है क्योंकि फसल के लिए जो पोषक तत्व आवश्यक होते हैं वह पोषक तत्व फसल अवशेषों में ही उपस्थित होते हैं। जिससे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता किसान को बहुत ही कम पड़ेगी। उन्होंने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक किसान की रुचि के हिसाब से ऐसे संसाधन व तकनीकी का विकास कर पाने में सफलता हासिल कर पा रहे हैं, जो फसल के अवशेषों के प्रबंधन में एक रामबाण साबित हो रही है।
इस अवसर पर उपस्थित कृषि उपनिदेशक डॉ सुरेंद्र यादव ने किसानों को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से जुड़ी स्कीम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हमारा कृषि विभाग किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन हेतु मशीनें उपलब्ध कराने हेतु व्यक्तिगत खरीदने पर 50 प्रतिशत का अनुदान तथा समूह बनाकर कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए 80 प्रतिशत का अनुदान दे रहा है।
जिला उद्यान अधिकारी डॉ रमेश पाल सैनी ने किसानों को बागवानी से जुड़ी विभिन्न प्रकार की स्कीम से अवगत कराया। उन्होंने किसानों को बताया कि किसान फल, फूल व सब्जियां लगाकर अपनी आय को दोगुना करने के साथ-साथ देशवासियों के स्वास्थ्य में भी सुधार ला सकता है। उन्होंने बताया कि उद्यान विभाग किसानों को खुंबी उत्पादन हेतु अनुदान उपलब्ध कराता है जिससे किसान फसल अवशेषों का प्रबंधन तो करता ही है साथ ही साथ भूमिहीन किसान भी अपनी आजीविका का साधन उसमें तलाश लेता है।
डायरेक्टर जनरल मैनेजर नाबार्ड के डॉ कुशल राज ने किसानों को अपने विभाग से जुड़ी स्कीम के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने किसानों को किसान उत्पादक समूह बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इन समूहों में नाबार्ड वित्तीय सहायता मुहैया कराता है जो किसान की बहुत अच्छी मददगार साबित होती है।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ एनके गोयल ने बताया कि फसल के लिए 17 आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत होती है जो फसल के अवशेषों में उपस्थित होते हैं। यदि फसल अवशेष को खेत में ही मिलाया जाए तो उर्वरकों के रूप में इन्हें खेत में डालना जरूरी हो जाता है। जिससे किसान की लागत बढ़ जाती है और मुनाफा घट जाता है। उन्होंने बताया कि किसान को मिट्टी की जांच जरूर करानी चाहिए, जिससे पता लगाया जा सके कि कितनी मात्रा में फसल अवशेषों को खेत में मिलाया जाए तथा खेत की रसायनों को अवशोषित करने की क्षमता क्या है? किसान मशीनी तकनीकी से फसल अवशेषों को यथा स्थान पर ही उनका विघटन कर आने वाली फसल को फायदा पहुंचाने तथा रसायनिक उर्वरकों का खर्चा बचाने व पराली को व्यर्थ में जलाने को रोकने के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने विभिन्न प्रकार की फसल अवशेष प्रबंधन में उपयोग की जाने वाली मशीनें जैसे कि रोटावेटर, रोटरी स्लाइसर, हैप्पी सीडर, जीरो ड्रिल मशीन, मिट्टी पलटू हल, मल्चर तथा सुपर सीडर इत्यादि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
वानिकी विशेषज्ञ डॉ अनिल कुमार ने पर्यावरण को प्रदूषण रहित बनाने वाले वृक्ष लगाने के बारे में किसानों को विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सफेदा व पॉपुलर वायुमंडल की कार्बन डाइऑक्साइड व हानिकारक गैसों का अवशोषण कर वायुमंडल को शुद्ध बनाए रखने में सहायता करते हैं। उन्होंने कहा कि खेती के साथ इन्हें लगाने से किसान की आमदनी में भी बढ़ोतरी होती है। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र का स्टाफ डॉ करण सैनी, डॉ अंकुश कांबोज, डा. गोविंद प्रसाद, तमिश, नितिन कुमार व लगभग 250 किसान व महिला किसानों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
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